Dharoi Dam water level increased यानी गुजरात का प्रसिद्ध धरौई डेम लगातार बढ़ते जलस्तर की वजह से चर्चा में है। भारी बारिश के कारण डेम में तेजी से पानी की आवक हुई और चार दरवाजे खोलकर पानी को साबरमती नदी में छोड़ा गया। इस स्थिति को देखते हुए मेहसाणा, साबरकांठा, अहमदाबाद, गांधीनगर और खेड़ा सहित कई जिलों में प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।
लगातार बारिश से जलस्तर में बढ़ोतरी
उत्तर गुजरात और राजस्थान के कई हिस्सों में लगातार भारी बारिश हो रही है। इसका सीधा असर मेहसाणा जिले में बने धरौई डेम पर पड़ा है। जानकारी के अनुसार, वर्तमान में डेम में 59,444 क्यूसेक पानी की आवक दर्ज की गई है और डेम अपनी 58% से अधिक क्षमता तक भर चुका है।
जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने चार दरवाजे खोलकर लगभग 58,880 क्यूसेक पानी साबरमती नदी में छोड़ा है। पानी छोड़ने के चलते निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है, इसलिए जिला प्रशासन ने समय रहते लोगों को सावधान रहने के निर्देश दिए हैं।
किन जिलों में जारी हुआ अलर्ट
धरौई डेम से छोड़े गए पानी का प्रवाह सीधे साबरमती नदी में जाता है और यह नदी कई जिलों से होकर गुजरती है। इसी कारण सात जिला कलेक्टरों को पहले ही सूचना दे दी गई है।
अलर्ट जारी किए गए प्रमुख जिले:
- मेहसाणा
- साबरकांठा
- अहमदाबाद
- गांधीनगर
- खेड़ा
इन जिलों के नदी किनारे बसे गांवों और निचले इलाकों के लोगों को विशेष सतर्क रहने को कहा गया है।
धरौई डेम की ताज़ा स्थिति
विवरण | जानकारी |
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स्थान | मेहसाणा जिला, गुजरात |
वर्तमान भराव क्षमता | 94.20% |
वर्तमान आवक | 59,444 क्यूसेक |
वर्तमान निकासी | 58,880 क्यूसेक (4 दरवाजों से) |
नदी से जुड़ाव | साबरमती नदी |
प्रभावित जिले | मेहसाणा, साबरकांठा, अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा |
जलस्तर बढ़ने का कारण | उत्तर गुजरात और राजस्थान में भारी वर्षा |
उत्तर गुजरात की जीवनरेखा है धरौई डेम
धरौई डेम को उत्तर गुजरात की जीवनरेखा कहा जाता है। यह डेम लाखों लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराता है और किसानों की खेती के लिए सिंचाई का बड़ा साधन है। इसके अलावा यह अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे बड़े शहरों को भी पानी उपलब्ध कराता है।
इस बार जब Dharoi Dam water level increased हुआ है, तब विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आने वाले वर्ष में पीने के पानी की कोई कमी नहीं होगी और किसानों को भी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।
मौसम विशेषज्ञ अंबालाल पटेल की चेतावनी
गुजरात के प्रसिद्ध मौसम विशेषज्ञ अंबालाल पटेल ने भविष्यवाणी की है कि महाराष्ट्र और मुंबई में हुई भारी वर्षा का सिस्टम अब गुजरात की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में गुजरात के कई हिस्सों में भारी से अति भारी वर्षा हो सकती है।
उनके अनुसार:
- उत्तर, मध्य और पूर्वी गुजरात में अगस्त के आखिरी हफ्ते और सितंबर की शुरुआत तक जोरदार वर्षा होने की संभावना है।
- सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में गणेश चतुर्थी और पर्युषण पर्व के दौरान भारी बारिश देखने को मिल सकती है।
- मध्य प्रदेश में भी अति भारी वर्षा की आशंका है, जिससे नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ सकता है।
यह भविष्यवाणी प्रशासन की चिंताओं को और बढ़ा रही है, इसलिए नदी किनारे के इलाकों को विशेष निगरानी में रखा गया है।
प्रशासन की तैयारियां
जलस्तर बढ़ने और पानी छोड़े जाने की स्थिति में प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं:
- साबरमती नदी के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है।
- सातों जिला कलेक्टरों को तत्काल जानकारी दी गई है।
- रेस्क्यू टीम और आपदा प्रबंधन दल को तैयार रखा गया है।
- नदी किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
लोगों को नदी के पास जाने से बचने और अनावश्यक यात्रा न करने की हिदायत दी गई है।
बढ़ते जलस्तर के फायदे
भले ही भारी बारिश और जलस्तर में तेजी से हुई वृद्धि से बाढ़ जैसी स्थिति बनी हो, लेकिन इसके कई फायदे भी हैं:
- पीने के पानी की उपलब्धता: अहमदाबाद, गांधीनगर और उत्तर गुजरात के कई इलाकों में पर्याप्त जल आपूर्ति होगी।
- खेती में लाभ: किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और अच्छी फसल होने की संभावना है।
- भूजल स्तर में सुधार: नदियों और डेम में पानी जमा होने से भूजल स्तर बेहतर होगा।
यानी इस वर्ष का बढ़ा हुआ जलस्तर एक ओर जहां चुनौती है, वहीं दूसरी ओर यह आने वाले महीनों के लिए राहत और समृद्धि का संकेत भी है।
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निष्कर्ष
लगातार बारिश के चलते Dharoi Dam water level increased और चार दरवाजे खोलकर पानी को साबरमती नदी में छोड़ा गया। प्रशासन ने कई जिलों को अलर्ट पर रखा है और राहत-बचाव दल को तैयार रखा है। हालांकि इस स्थिति से थोड़ी परेशानी बढ़ी है, लेकिन दूसरी ओर पर्याप्त जल संग्रहण ने आने वाले महीनों के लिए पानी की समस्या से बड़ी राहत दिलाई है।
अगले कुछ दिनों तक मौसम की स्थिति पर नजर रखना बेहद जरूरी है क्योंकि भारी बारिश की संभावना अभी बनी हुई है। धरौई डेम इस समय उत्तर गुजरात के लिए वरदान और चुनौती दोनों का प्रतीक है।